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    गिद्ध-बैल की होती है लड़ाई! त्योहार के दिन चलता हैं ‘खूनी खेल’! कहां होता है ये विचित्र युद्ध, क्या है कारण?

    इंसान अपने शौक के लिए खुद तो एक दूसरे से लड़ते ही हैं, साथ में जानवरों को लड़वाने में भी परहेज नहीं करते हैं. भारतीय लोगों को बटेरबाजी और कबूतरबाजी के बारे में पता होगा जिसमें पक्षी लड़वाए जाते हैं. पर दुनिया में एक ऐसी भी जगह है जहां पक्षी को दूसरे पक्षी से नहीं, बल्कि बैल से लड़वाया जाता है. आपको लगेगा कि छोटा सा पक्षी (Bird bull fight), इतने भारी-भरकम जानवर से कैसे लड़ सकता है! असल में जिस पक्षी को लड़वाया जाता है वो कबूतर या बटेर की तरह छोटा नहीं होता, बल्कि इतना विशाल होता है कि उसके पंखों का आकार बैल से भी बड़ा लगता है.

    ऑडिटी सेंट्रल न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार पेरू देश में एक छोटा सा पहाड़ी गांव है जिसका नाम है कॉयलुर्की (Coyllurqui, Peru) यहां एक विवादित त्योहार मनाया जाता है जिसे ब्लड फेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है. इस फेस्टिवल का नाम है यावर फीएस्टा (Yawar Fiesta) या पेरुवियन ब्लड फेस्टिवल (Peruvian Blood Festival). पक्षी बनाम बैल का ये युद्ध पेरू में कई जगहों पर लंबे वक्त से हो रहा था पर जानवरों के अधिकारों के लिए लड़ने वालों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और अब ये अधिकतर जगहों पर बैन हो चुका है, हालांकि, ग्रामीण इलाकों में पूरी तरह से बैन लगा पाना मुश्किल है.

    bull vulture fight

    गिद्ध और बैल के बीच ये लड़ाई करवाई जाती है. (फोटो: Facebook/Hender Huamani Roman)

    पेरू में होता है ये युद्ध
    ‘Turupucllay’ के नाम से प्रसिद्ध इस लड़ाई का अर्थ होता है बैलों का युद्ध. इस ग्रामीण इलाकों के मेयरों ने भी कई इंटरव्यूज में इस बात को कबूल किया है कि लोग पक्षी को बैल के साथ लड़ते देखने के लिए आते हैं. अगर पक्षी ही नहीं होगा तो त्योहार नहीं होगा. आपको बता दें कि जिस पक्षी को लड़वाया जाता है उसे कॉन्डो (Condor vulture) कहते हैं जो गिद्ध की ही एक प्रजाति है. गिद्ध की इस प्रजाति को बचाने की काफी कोशिश की जाती है पर इस लड़ाई को भी करवाया जाता है.

    बैल पर बांध देते हैं गिद्ध
    चलिए अब आपको बताते हैं कि इस युद्ध में क्या किया जाता है. इस पक्षी का विंग स्पैन यानी एक पंख से दूसरे पंख तक का साइज करीब 10 फीट तक होता है. पक्षियों को पहले शराब पिलाई जाती है, फिर उन्हें गंदे, कीचड़ भरे युद्ध क्षेत्र में लाया जाता है. इसके बाद पक्षी को काले बैलों के ऊपर बांध दिया जाता है. उनके पैरों को ऐसे बांध देते हैं जिससे वो ना ही कूद सकें और ना ही उड़ सकें. अपने आप को बचाने के लिए गिद्ध अपनी चोंच और और पंजों से बैल के ऊपर हमला कर देता है. अगर बैल घुटने टेकता लगता है तो लाल कपड़ा लेकर इंसान कूद पड़ते हैं और उसे गुस्सा दिलाते हैं जिसके बाद वो पक्षी को अपने ऊपर से हटाने लगते हैं.

    क्यों होती है ये लड़ाई?
    अब सवाल ये उठता है कि इन जीवों को क्यों लड़वाते हैं. कॉन्डो यानी गिद्ध पेरू के राष्ट्रीय पक्षी हैं. वहीं बैल, स्पेन के अनौपचारिक राष्ट्रीय प्रतीक हैं. यहां गिद्ध को पेरू के मूल निवासी इनका (Inca) माना जाता है और बैल को स्पैनिश आक्रांता. ऐसे में गिद्ध को ऊपर रखते हैं जिससे लोगों को लगे कि इनका, हमलावरों से जीत रहे हैं. अगर गिद्ध घायल हो जाते हैं या उनकी मौत हो जाती है तो माना जाता है कि वो साल बेहद अशुभ बीतेगा.

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    Tags: Ajab Gajab news, Trending news, Weird news

    FIRST PUBLISHED : February 18, 2023, 13:43 IST

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