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    पायलट-गहलोत के बीच सबकुछ हो जाएगा ठीक? आलाकमान ने बनाया सुलह का ‘महा फॉर्मूला’

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    राजस्थान का सियासी पारा दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच की दीवार लगातार और ऊंची होती जा रही है। बढ़ते गुटबाजी को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान की चिंता भी बढ़ती जा रही है। साल के अंत तक राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। सभी दल अपने-अपने वोटरों को साधने में जुटे हुए हैं। लेकिन कांग्रेस कहीं न कहीं अपने दो सबसे बड़े नेताओं को साधने में बार-बार नाकाम होती नजर आ रही है। सोमवार, 29 मई को आलाकमान सबकुछ ठीक कर देना चाहती है। जी हां, कल दिल्ली में एक अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में आलाकमान के साथ पायलट-गहलोत एक साथ मौजूद होंगे। इस मीटिंग का एजेंडा क्या है? आलाकमान ने क्या फॉर्मूला तैयार किया है? कांग्रेस का सबसे बड़ा डर क्या? आइए एक-एक कर सब समझते हैं…

    हाथ नहीं, दिल मिलाना है
    दरअसल, पायलट-गहलोत को लेकर दिल्ली में 26 मई को ही बैठक होने वाली थी। यह बैठक स्थगित होकर अब 29 मई को होने जा रही है। बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर होगी। बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट, राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, शामिल होंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कल की बैठक खासा अहम होने वाली है। बता दें कि पायलट-गहलोत विवाद को सुलझाने के लिए बीते दिनों कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ को जिम्मा सौंपा था। कमलनाथ इसे लेकर पायलट से मुलाकात भी किए थे, कई ऑफर भी दिए थे लेकिन पायलट नहीं माने। दोनों नेता एक-दूसरे से हाथ मिला लें इसकी कोशिश कई बार आलाकमान कर चुकी है। चुनाव अब सिर पर है। विवाद से पार्टी को नुकसान न हो जाए इस डर से आलाकमान अब हाथ नहीं दिल मिलाने पर जोर दे रही है।

    कांग्रेस का सबसे बड़ा डर?
    दोनों नेताओं का विवाद खत्म करने के लिए कांग्रेस ने क्या फॉर्मूला तैयार किया है यह समझने से पहले आइए जानते हैं कि कांग्रेस का आखिर सबसे बड़ा डर क्या है। दरअसल, आलाकमान को यह डर है कि कहीं पायलट को मनाने के चक्कर में गहलोत गुट के विधायक नाराज न हो जाएं और 25 सितंबर, 2022 वाला वाकया रिपीट न हो जाए। बता दें कि पिछले साल सितंबर महीने में अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। ऐसे में यह माना जा रहा था कि गहलोत के अध्यक्ष बनने के बाद पायलट को सूबे का सीएम बनाया जाएगा। इस बात से गहलोत गुट के विधायक नाराज हो गए। 82 विधायकों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। आलाकमान ने इसके बाद अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को राजस्थान भेजा लेकिन गहलोत गुट के नेताओं ने मीटिंग का बहिष्कार कर दिया था। कांग्रेस को यही डर सता रहा है।

    आलाकमान का ‘महा फॉर्मूला’
    29 मई को होने जा रही बैठक में आलाकमान दोनों नेताओं को खुश करना चाहती है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पायलट आलाकमान से नहीं केवल गहलोत से नाराज हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि कल होने जा रही बैठक में पायलट को फायदा होने वाला है। सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान कल पायलट को तीन ऑफर दे सकती है। पहला, पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाने का ऑफर। दूसरा, पायलट गुट के विधायकों को मंत्रिमंडल में पहले से ज्यादा स्पेस देने का ऑफर। तीसरा, विधानसभा चुनाव के बाद अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार रिपीट होती है तो दो डिप्टी सीएम बनाने का ऑफर, जिसमें एक पायलट गुट का और दूसरा गहलोत गुट का होगा। आलाकमान इस ‘महा फॉर्मूला’ से पायलट के गुस्से को शांत करना चाहती है। 

    ऐसा माना जा रहा है कि आलाकमान के इस फॉर्मूला से अशोक गहलोत नाराज हैं। हालांकि कांग्रेस दोनों नेताओं के बीच सबकुछ ठीक कर चुनाव पर फोकस करना चाहती है। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी पूरे जोर-शोर के साथ चुनावी तैयारियों में जुटी है। वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कल के कांग्रेस आलाकमान के मीटिंग में क्या नतीजे निकल कर सामने आते हैं।   

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