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    विधानसभा चुनाव से महीनों पहले CM विजय रुपाणी ने क्यों दिया इस्तीफा? इनसाइड स्टोरी

    Gujarat CM Vijay Rupani Resigns: रुपाणी पहली बार सात अगस्त, 2016 को मुख्यमंत्री बने थे. फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद दूसरी बार राज्य की बागडोर संभाली.

    नई दिल्ली. भाजपा ने एक और हैरत भरा कदम उठाते हुए शनिवार को गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक 15 महीने पहले विजय रुपाणी को राज्य के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया. ऐसा माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में सत्ता विरोधी लहर को देखते हुए पार्टी ने यह कदम उठाया है. ये चौथे मुख्यमंत्री हैं, जिसे भाजपा ने इस साल उनके पद से हटाया है. इससे पहले उत्तराखंड में दो मुख्यमंत्री बदले गए, जबकि कर्नाटक में बी. एस. येडियुरप्पा से राज्य की कमान छीन ली गई थी.

    भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सी.आर. पाटिल, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के नाम नए मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में हैं. इसके साथ ही भाजपा और आरएसएस के हलकों में मुख्यमंत्री पद के लिए कुछ और नाम भी सुनाई दे रहे हैं. इनमें गुजरात राज्य भाजपा के उपाध्यक्ष गोरधन जदाफिया और केंद्रीय मत्स्य व पशुपालन पालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के नाम शामिल हैं.

    रुपाणी पिछले महीने ही 65 साल के हुए हैं और सूत्रों की माने तो पार्टी को उनके नेतृत्व में गुजरात में अगले चुनाव का सामना करने का इतना भरोसा नहीं था. रुपाणी ने अपने इस्तीफे के भाषण में ‘नई ऊर्जा और नया उत्सव’ को नए मुख्यमंत्री चुनने का कारण बताया.

    यहां तक कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी और अंत में पीएम नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान को बाद बीजेपी को जीत मिली थी. बीजेपी पिछले करीब दो दशक से गुजरात में सत्ता में है. रुपाणी को बहुत ओजस्वी नेता के तौर पर नहीं देखा गया. सूत्रों ने बताया कि चुनाव के 15 महीने पहले नेतृत्व परिवर्तन ने पार्टी को नया चेहरे के जरिए सत्ता विरोधी लहर को काउंटर करने का मौका दिया है. कुछ ऐसा ही अगले साल टिकट बंटवारे में भी दिख सकता है, जहां कई सीटिंग विधायकों के टिकट कट सकते हैं

    माना जा रहा है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गुजरात के प्रभारी भूपेंद्र यादव और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष ने पिछले कुछ महीने में राज्य में पार्टी की स्थिति पर विस्तार से रिव्यू किया था. वैसे भी रुपाणी बड़े नेता के तौर पर नहीं जाने जाते हैं. पाटीदार वोट का राज्य में बड़ा महत्व है.

    रुपाणी के नेतृत्व में कोविड-19 प्रबंधन में सही नहीं उतरने के कारण बीजेपी को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा. बीजेपी को शहरी इलाकों में गुस्से का सामना करना पड़. सीआर पाटिल को राज्य का बीजेपी चीफ पिछले साल बनाया गया था. ताकि वह पार्टी में जान फूंक पाए. पाटिल को पीएम नरेंद्र मोदी का काफी करीबी माना जाता है. वह वाराणसी में पीएम मोदी के लिए काम करते रहे हैं. एक बीजेपी सूत्र ने बताया, ‘राज्य में सत्ता विरोधी लहर है लेकिन नए नेता के नेतृत्व में हम 15 महीने में चीजों को दुरुस्त कर सकते हैं.’

    संयोग से रुपाणी को भी 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से 15 महीने पहले कुछ इसी तर्ज पर राज्य का सीएम बनाया गया था. आनंदीबेन पटेल को हटाकर उन्हें राज्य की कमान सौंपी गई थी.

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