इजरायल के डिफेंस फोर्स (IDF) ने उत्तर-दक्षिण की ओर जाने वाली महत्वपूर्ण सलाह-अल-दीन सड़क पर हमला करने के बाद गाजा शहर को घेर लिया है. अब सिर्फ उत्तर और दक्षिण गाजा ही बचा रह गया है. इजरायली सेना तेजी से उत्तर और दक्षिण गाजा की तरफ बढ़ रही है.
गाजा पर ग्राउंड ऑपरेशन शुरू करने से पहले इजरायल ने हमास के ठिकानों को तबाह करने के मकसद से एयरस्ट्राइक के जरिए उसके सुरंगों और अस्पतालों को टारगेट किया. रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा के अस्पतालों के नीचे हमास अपने मुख्य ठिकानों को ऑपरेट कर रहा था. जबकि सुरंगों में हमास के लड़ाके महफूज रहते थे. यहां हमास के हथियार और गोला-बारूद भी रखे रहते थे. इजरायल ने गाजा के सीक्रेट टनल पर हमला करने के लिए लगातार हवाई हमले किए. गाजा में हमास के सुरंगों को ‘मेट्रो नेटवर्क’ भी कहा जाता है.
गाजा के बिल्ड अप एरिया (FIBUA) यानी घने इलाकों के इमारतों और संरचनाओं के बीच जो युद्ध होगा, वो इजरायली जमीनी सैनिकों और बख्तरबंद इकाइयों के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा करेगा.
पहली चुनौती
गाजा की संकरी गलियां टैंक या इन्फैंट्री फाइटिंग व्हीकल्स (IFVs) जैसी बख्तरबंद यूनिट के लिए आदर्श जगह नहीं हो सकती हैं, क्योंकि हमास के कार्यकर्ता एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों को फायर करने के लिए इमारतों का इस्तेमाल कर सकते हैं. हमास ने दावा किया है कि जब इजरायली सेना ने गाजा में एंट्री की और मशीन गन, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) दागे तो भयानक लड़ाई छिड़ गई. इजरायल ने हमास की निगरानी पोस्ट और एंटी टैंक मिसाइल सिस्टम के लॉन्च पोस्ट को निशाना बनाया है.
24 फरवरी 2022 से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग ने दुनिया को दिखाया कि क्लोज एयर सपोर्ट (CAS) का सपोर्ट नहीं होने पर टैंक और सैनिक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल के लिए कितने कमजोर हो सकते हैं. रूसी टैंक इमारतों और निर्मित संरचनाओं से फेंके गए मोलोटोव कॉकटेल के लिए खतरा बनकर बैठे हैं.
सिर्फ मोलोटोव कॉकटेल ही नहीं, यहां तक कि कामिकेज़ ड्रोन ने भी रूसी T-72 को निशाना बनाया. इससे टैंकों के ‘जैक-इन-द-बॉक्स’ डिजाइन की कमजोरी उजागर हो गई. भारतीय सेना भी रूसी T-72 और T-90 टैंकों का इस्तेमाल करती हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध से सीखते हुए इजरायल अब टैंकों को युद्ध सामग्री और ड्रोन हमलों से बचाने के लिए मेटल की प्लेटों से ढक रहा है. इसे “कोप-केज” भी कहा जाता है.
दूसरी चुनौती
गाजा पर इजरायल के ग्राउंड ऑपरेशन में न सिर्फ टैंक, बल्कि सैनिक भी हमास के सीक्रेट ठिकानों और ‘गाजा मेट्रो’ से घात लगाकर किए जाने वाले हमलों का सामना करेंगे. ‘गाजा मेट्रो’ हमास के गुरिल्ला हमलों के बाद हथियारों की सप्लाई, स्टोरेज, हिट और रन के लिए बनाई गई सीक्रेट टनल का एक नेटवर्क है.
इजरायल ने सुरंगों के खतरे को बेअसर करने के लिए पहले से ही ‘स्पंज बम’ नाम के हथियार का इस्तेमाल किया है. लेकिन आईडीएफ के खुफिया विंग का कहना है कि हमास ने बंधकों को इन सुरंगों में रखा है. ऐसे में इन सुरंगों को तबाह करना भी एक चुनौती होगी.
‘ऑपरेशन पवन’ के दौरान श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (IPKF) को बिल्ड अप एरिया (FIBUA) की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. लिट्टे के कार्यकर्ताओं ने जाफना की ओर जाने वाली सड़कों और जंक्शनों पर गुरिल्ला हमले और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED हमले किए थे.
अच्छी तरह से मजबूत लिट्टे कैडरों ने घात लगाकर IPKF पर हमला किया. क्षेत्र की खराब जमीनी खुफिया जानकारी के कारण ब्रिगेड को भारी नुकसान हुआ. लिट्टे कैडरों के हमले में 4/5 गोरखा, 5 पैरा और 4 महार घायल हुए. 6 गार्ड्स और 200 से अधिक लोग भी हताहत हुए.
डेल्टा कंपनी ने कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी आर भाटिया और शौर्य चक्र (SC) कैप्टन अनिल चट्टा के नेतृत्व में 1949 के मैप का इस्तेमाल करके अंधेरे में क्रॉस-कंट्री जाने का एक नया दृष्टिकोण अपनाया और घेरा तोड़ दिया.
तीसरी चुनौती
गाजा की सड़कों पर इजरायल और हमास के बीच लड़ाई हफ्तों तक चलने की उम्मीद है. इजरायल को शत्रुतापूर्ण क्षेत्र में गहराई से लड़ने पर सप्लाई लाइनों को बनाए रखना होगा. खासकर जब हमास के घात लगाकर हमले की संभावना बहुत ज्यादा होगी
हमले के दौरान किसी शहर को अलग-थलग करना असंभव है, जब एक लड़ाके और एक नागरिक के बीच की रेखाएं धुंधली हो जाती हैं, तो दिक्कत ज्यादा आएगी.
गाजा पर पूरी तरह से कब्जा करने के लिए ज्यादा इजरायली सैनिकों की जरूरत होगी. इसकी वजह से बड़ी संख्या में नागरिक और सैनिक हताहत हो सकते हैं.
चौथी चुनौती
गाजा में बड़े मानवीय संकट पर वैश्विक चिंताओं के बावजूद इजरायल ने अपना अभियान जारी रखा है. इजरायल के लिए अगली बड़ी चुनौती परसेप्शन की लड़ाई होगी. जंग में गाजा में अब तक 9700 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. इजरायल में मरने वालों की संख्या 1400 के करीब है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि जमीनी हमले से गाजा में नागरिक हताहतों की संख्या में काफी वृद्धि हो सकती है.
रेड क्रॉस की इंटरनेशल कमेटी की 2017 की रिपोर्ट, ‘आई सॉ माई सिटी डाई’ इस बात पर रोशनी डालती है कि सीरिया और इराक में नागरिकों के लिए शहरी युद्ध कितना घातक है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरों में हुए युद्ध में अन्य क्षेत्रों में लड़ाई की तुलना में आठ गुना अधिक मौतें हुईं. गाजा में जनसंख्या घनत्व 5,500 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है. ऐसे में साफ है कि निर्दोषों का दर्द आगे और बढ़ने वाला है.
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